दिनांक: 29-10-2025
29 अक्टूबर 2025 केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर और समाज एवं संस्कृति अध्ययन केंद्र, राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में “समकालीन युवा विमर्श” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए समाज एवं संस्कृति अध्ययन केंद्र के संयोजक डॉ. अमित झालानी ने कहा कि अध्ययन केंद्र समाज में प्रचलित विमर्शों का विश्लेषण करते हुए भारतीय चिंतन पर आधारित वैचारिक दृष्टिकोण देने का कार्य करता हैं। वर्तमान समय में जब परिवार और समाज मे विघटन बढ़ रहा है तथा वोकिज़्म जैसी विचारधाराएँ सांस्कृतिक अस्मिता के समक्ष चुनौती बनकर उभर रही हैं, तब भारतीय दृष्टि की प्रासंगिकता और इस पर आधारित जीवन-मूल्यों पर शोधपरक अध्ययन की आवश्यकता है।

प्रथम सत्र
मुख्य वक्ता : डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष (पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान साहित्य अकादमी)
अध्यक्षता : प्रो.वाई.एस.रमेश (निर्देशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर)
डॉ. तत्पुरुष ने कहा कि आज का युवा तीव्र परिवर्तनशील युग में अनेक वैचारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौतियों से जूझ रहा है। भारतीय दर्शन इन चुनौतियों के समाधान के लिए युगानुकूल मार्गदर्शन प्रदान करता है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि वह अपने अंदर निहित शक्ति और विवेक को पहचानें तथा जीवन-मूल्यों को आचरण में लाएँ।
प्रो.वाई.एस.रमेश ने विद्यार्थियों को जीवन में वैचारिक स्पष्टता और व्यवहार में शुचिता अपनाने के लिए प्रेरित किया।

द्वितीय सत्र
मुख्य वक्ता – डॉ. सुनील खटीक (सहायक आचार्य एवं लेखक)
अध्यक्षता : प्रो. बोधकुमार झा (सह-निदेशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर)
डॉ. सुनील खटीक ने कहा कि संस्कृत साहित्य में निहित जीवनशैली ही भारतीय संस्कृति की आत्मा है और उसे समाज के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारतीय ग्रंथों में मानव जीवन के सभी आयामों का समन्वित दर्शन मिलता है, जो आज भी प्रासंगिक है। साथ ही उन्होंने युवाओं पर पश्चिमी जगत द्वारा थोपी जा रही स्वच्छन्द जीवनशैली की समीक्षात्मक आलोचना की आवश्यकता बताई।
प्रो. बोधकुमार झा ने प्रतिभागियों की जिज्ञासाओ का भारतीय दृष्टिकोण से युक्तिपूर्ण समाधान प्रस्तुत किया।

चर्चा एवं सहभागिता
दोनों सत्रों में विद्यार्थियों और शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी रही।
प्रतिभागियों ने विचार-विमर्श के दौरान विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा की और भारतीय दर्शन के व्यवहारिक आयामों पर विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन आचार्य नरेश सिंह ने किया।

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