समाज एवं संस्कृति अध्ययन केंद्र राजस्थान

November 2024

समाज में हो स्व का गौरव

भारत के वैभवशाली और गौरवशाली इतिहास का यह एक लंबा कालखंड है, तो उसके साथ-साथ परतंत्रता का भी एक हजार वर्ष का काला अध्याय है। विदेशी आक्रमणों व संघर्षों के शिकार होने के कारण हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, वैज्ञानिक, राजनीतिक व्यवस्था एवं शिक्षा प्रणाली पर गहरी चोटे पहुंची या यूं कह सकते हैं कि योजना पूर्वक पहुंचाई गई।

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हिन्दुत्व के शाश्वत सिद्धांत

हिन्दुत्व, जो न केवल एक धार्मिक परंपरा है बल्कि एक गहन जीवन-दर्शन भी है, आज वैश्विक विमर्श का एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। यह शब्द, सर्वकालिक एवं सर्वसामान्य होते हुए भी, समयानुकूल संदर्भ के साथ नए अर्थ और व्याख्याएं प्राप्त कर रहा है। बाकी सभ्यता, संस्कृतियों की तुलना में जब हम देखते हैं तो पाते हैं कि हिन्दू समाज जड़ नहीं है, प्रोग्रेसिव है इसलिए समय काल परिस्थिति के अनुसार फिर चिंतन करता है, आवश्यकता अनुसार परिवर्तन करता है और आगे बढ़ता है। इसीलिए यह दुनियाँ का सबसे प्राचीन धर्म होते हुए भी यह नित्य नवीन बना हुआ है।

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क्या है भारतीय परिप्रेक्ष्य में राष्ट्र की अवधारणा

पहले वे लोग, जो कहते हैं कि भारत 1947 में जन्मा राष्ट्र है, जिसे अंग्रेजों ने बनाया और हमें सौंपा। उससे पूर्व यहाँ कुछ रियासतें थी और अलग अलग स्वायत्त राज्य थे। कुछ लोग अनजाने में कहते भी हैं “we are a nation in making” या “we are the youngest nation in the world” दूसरे वे लोग जो कहते हैं कि भारत एक राष्ट्र नहीं है, यह अनेक राष्ट्रों का समूह है। यहाँ विभिन्न राष्ट्रीयताएं बसती हैं। इसलिए “India is a subcontinent भारत उपमहाद्वीप है”। तीसरे वे लोग हैं, जो कहते हैं कि भारत एक राष्ट्र है, प्राचीन राष्ट्र है, सनातन राष्ट्र है। यह बात शास्त्र सिद्ध है, इतिहास सिद्ध है और अनुभव सिद्ध भी है।

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विशेषज्ञ वार्ता – वैश्विक परिदृश्य में स्व का बोध

विशेषज्ञ – मेजर जनरल एस. एन. माथुर 27 जुलाई 2024 को ‘वैश्विक परिदृश्य में स्व का बोध’ विषय पर एक्सपर्ट टॉक आयोजित की गई । विशेषज्ञ के रूप में मेजर जनरल एस एन माथुर थे। मूलतः जोधपुर के मेजर जनरल सुरेन्द्र नारायण माथुर वर्ष 1971 में सेना के कोर ऑफ इंजीनियर में कमिशन हुए। जनरल माथुर ने 1971 के भारत पाक युद्ध में जम्मू के चिकन नेक क्षेत्र में भाग लिया। वें सेना के राष्ट्रीय स्तर के नौकायन , रोइंग व हॉर्स पोलो आदि खेलों के खिलाड़ी रहे तथा रोइंग में टोक्यो ओलम्पिक , हिरोशिमा में हुए एशियन गेम्स , अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता, शंघाई आदि में इंटरनेशनल निर्णायक की भूमिका में रहें । इसके बाद मेजर जनरल माथुर ने भारतीय एवं विदेशी देशज लोगों से जुड़कर उनके पौराणिक – सनातन – संस्कृति के संबंधों की खोज शुरू की और इसी क्रम में वे अब तक 35 देशों की यात्राएं कर चुके हैं । इस विशेषज्ञ वार्ता में एस एन माथुर की पुस्तक ‘हिन्दू के केल्टिक स्वजन ‘ पर चर्चा की गई । यह एक ऐसी शोधपरक पुस्तक है, जो यूरोप के केल्ट कल्चर और इन केल्ट लोगों के भारत से संबंध पर प्रकाश डालती हैं । एस एन माथुर ने वर्षों की शोध के पश्चात इस बात के साक्ष्य एकत्रित किए की यूरोप में रहने वाले ये केल्ट भगवान परशुराम के कालखंड में भारत से यूरोप गए। इन केल्ट स्वजनों की सामाजिक संरचना, शैक्षणिक आश्रम व्यवस्था , पूजा पद्धति , तीज त्योहार , गुरु शिष्य परंपरा यहाँ तक कि पौराणिक आगम भाषा भी भारतीयों के समान हैं । ये केल्टिक लोग अमेरिका , कनाड , ऑस्ट्रेलिया,न्यूज़ीलैंड आदि देशों में यूरोप से पलायन कर विस्थापित हुए और आज भी गोपनीय और संघर्षमय जीवन यापन कर रहें हैं। मेजर माथुर ने अपनी वार्ता में इन सभी बिंदुओं पर चर्चा की ।

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दीन दयाल स्मारक, धानक्या

8 अप्रैल 2024  को समाज एवं संस्कृति अध्ययन केंद्र राजस्थान द्वारा कुछ अन्य युवा समूहों के साथ एकात्म मानव दर्शन की अवधारणा के प्रणेता , महान भारतीय दार्शनिक व चिंतक दीन दयाल उपाध्याय जी के स्मारक, धानक्या, जयपुर की विज़िट एवं एकात्म मानव दर्शन पर एक्सपर्ट टॉक का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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