Year | Total Countries | Ranking | ||||
India | Nepal | Pakistan | Sri Lanka | Bangladesh | ||
2024 | 127 | 105 | 68 | 109 | 56 | 84 |
2023 | 125 | 111 | 69 | 102 | 60 | 81 |
2022 | 121 | 107 | 81 | 99 | 64 | 84 |
2021 | 116 | 101 | 76 | 92 | 65 | 76 |
2020 | 107 | 94 | 73 | 88 | 64 | 75 |
Table – Ranking of Bharat and neighbour countries[1]
GHI कौन बनाता है? Concern Worldwide (Ireland’s NGO) and Welthungerhilfe (German NGO) सम्मिलित रूप से
भारत की लगातार सुदृढ़ होती आर्थिक स्थिति के बाद भी ग्लोबल हंगर इंडेक्स में (GHI) देश की रैंकिंग वैश्विक स्तर पर लगातार निचले स्थान पर बनी हुई है। इस कारण GHI की कार्यप्रणाली, निष्पक्षता, सटीकता, वस्तुनिष्ठता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। इस संदर्भ में यहां कुछ तथ्य उल्लेखनीय हैं –
- दुनिया में भारत अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। देश की आवश्यकता से अधिक यहाँ अन्न उत्पादन होता है। [2]
- इसके पास व्यापक खाद्य आपूर्ति प्रणाली, मजबूत सरकारी नीतियाँ और वंचितों के लिए निशुल्क खाद्यान्न योजनाएं एवं वितरण प्रणाली है। कोविड-19 महामारी के दौरान 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज प्रदान किया। [3]
- पिछले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से भी अधिक हो गई है।
भारत सरकार ने GHI रैंकिंग को “भ्रामक” और “जमीनी हकीकत से परे” करार देते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया है। महिला और बाल विकास मंत्रालय (MWCD) ने एक बयान में कहा कि सूचकांक में उपयोग किए गए आंकड़े भारत की वर्तमान स्थिति का सही प्रतिनिधित्व नहीं करते। सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि GHI पुराने सर्वेक्षणों पर निर्भर करता है, जबकि भारत ने भूख के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख प्रगति की है। इसके तहत निम्नलिखित प्रमुख योजनाओं का उल्लेख किया गया:
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY): प्रति माह प्रति एएवाई परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न और प्राथमिकता वाले परिवार के मामले में प्रति माह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न
- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS): माताओं और बच्चों को पोषण समर्थन प्रदान करना।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): दो-तिहाई आबादी के लिए सब्सिडी वाले खाद्यान्न की व्यवस्था।
GHI रैंकिंग की विसंगतियां
- चयनात्मक डेटा का उपयोग
वैश्विक एजेंसियां अक्सर अपने डेटा के लिए तृतीय-पक्ष स्रोतों पर निर्भर करती हैं, जो आधिकारिक सरकारी आंकड़ों के साथ मेल नहीं खा सकते। आलोचकों का कहना है कि ये एजेंसियां कभी-कभी सामान्यीकृत या अनुमानित डेटा का उपयोग करती हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर हुई सफलता और क्षेत्रीय अंतर नजरअंदाज हो जाते हैं।
2. भारत विरोधी ग्लोबल नेरटिव के अंतर्गत भारत की ‘गरीब’ और ‘भुखमरी से ग्रस्त’ वैश्विक छवि दिखाने के प्रयास
- यहाँ मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म का एक दृश्य उद्धृत करने लायक है। इसमें एक जापानी व्यक्ति पत्रकार बातचीत के दौरान कहता है कि वह असली भारत को देखना चाहता हैं जहां “गरीब और भूखे लोग (real India – poor people, hungry people)। इस दृश्य को हास्य रूप में प्रस्तुत किया गया है। पर यह संवाद भारत के बारे में वैश्विक दृष्टिकोण को उजागर करता है, जहां अक्सर गरीबी और भूख को देश की प्रमुख पहचान के रूप में देखा जाता है। बाहरी दुनिया में भारत की उस धारणात्मक छवि पर आधारित है, जो मीडिया, फिल्मों, और इस तरह की रिपोर्ट्स (GHI) के माध्यम से बनाई गई है।
- वैश्विक स्तर पर टूट चुकी पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल की अर्थव्यवस्थाओं के सामने लगातार तेजी से बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था के बावजूद भी भारत की रैंकिंग का उनसे पीछे होना, इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत की छवि धूमिल करने के लिए डाटा का साथ खेला जाता है।
3. त्रुटिपूर्ण कार्यप्रणाली और अत्यधिक सरलीकरण [1]
विशेषज्ञों ने GHI की उस कार्यप्रणाली की आलोचना की है, जो भारत में भूख और खाद्य असुरक्षा की जटिलताओं को समझने में विफल रहती है। यह सूचकांक चार मुख्य मानकों पर आधारित है:
- अल्पपोषण (Undernourishment): वह जनसंख्या अनुपात, जो पर्याप्त कैलोरी सेवन नहीं कर पाता।
- बाल कुपोषण (Child Wasting): पांच साल से कम उम्र के बच्चों का वह प्रतिशत, जिनका वजन उनकी लंबाई के अनुपात में कम है।
- बाल ठिगनापन (Child Stunting): पांच साल से कम उम्र के बच्चों का वह प्रतिशत, जिनकी लंबाई उनकी उम्र के अनुपात में कम है।
- बाल मृत्यु दर (Child Mortality): पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर।
यहाँ उल्लेखनीय है कि 4 में से 3 संकेतक पाँच साल से कम उम्र के बच्चों पर आधारित हैं। और इसलिए विकृत है। उदाहरण के लिए, बाल ठिगनापन और कुपोषण, हालांकि महत्वपूर्ण हैं, फिर भी यह व्यापक आबादी की भूख की स्थिति का संपूर्ण चित्र नहीं पेश करते।
प्रसिद्धअर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने GHI की कार्यप्रणाली और डेटा स्रोतों पर अपनी हालिया रिपोर्ट में कई प्रमुख खामियों को उजागर किया [4]:
- पुराने और असंगत डेटा पर निर्भरता: सान्याल ने कहा कि GHI मुख्य रूप से पुराने सर्वेक्षणों पर आधारित है, जो भारत की वर्तमान पोषण और खाद्य सुरक्षा की स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करते। उदाहरण के लिए, कुछ आंकड़े वर्षों पुराने सर्वेक्षणों से लिए गए हैं और सरकारी योजनाओं के माध्यम से हासिल की गई महत्वपूर्ण प्रगति को नहीं दर्शाते।
- बाल संकेतकों पर अत्यधिक जोर: सान्याल ने तर्क दिया कि बाल ठिगनापन और कुपोषण, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता और सांस्कृतिक प्रथाओं जैसे अन्य कारकों से भी प्रभावित होते हैं, जो भूख के प्रत्यक्ष संकेतक नहीं हैं। इन मानकों को भूख के संकेतक के रूप में उपयोग करना भारत की खाद्य सुरक्षा में हुई प्रगति को नजरअंदाज करता है।
- अल्पपोषण का गलत माप: सान्याल के अनुसार, अल्पपोषण का मानक FAO के मॉडल अनुमानों पर आधारित है, जिनमें त्रुटि की उच्च संभावना है। यह जनसंख्या के वास्तविक कैलोरी सेवन और पोषण स्थिति के बारे में गलत निष्कर्ष तक ले जा सकता है।
हालांकि भारत में भूख और कुपोषण जैसी महत्वपूर्ण समस्याओं से पूरी तरह उबर नहीं पाया है। लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश से नीचे मिले स्थान से GHI की कार्यप्रणाली और उसके निष्कर्ष विवादास्पद है। पुराने, संकीर्ण और कभी-कभी अप्रासंगिक संकेतकों पर निर्भर होने के कारण, यह सूचकांक भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण की जटिलताओं के साथ न्याय नहीं कर पाता। वैश्विक एजेंसियों को देशों की रैंकिंग में अधिक सूक्ष्म, समावेशी और साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
[1] https://www.globalhungerindex.org/
[2] https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1894917&utm_source=chatgpt.com
[3] https://dfpd.gov.in/Home/ContentManagement?Url=pmgka.html&ManuId=3&language=2